नये क्षितिज, नये उपमान नये प्रतीक ढूँढ़ता रहा। नये क्षितिज, नये उपमान नये प्रतीक ढूँढ़ता रहा।
बदल जाती है मतलब से मतलब से नये चेहरे लाती है। बदल जाती है मतलब से मतलब से नये चेहरे लाती है।
चलो, आज फिर से रिश्तों को, प्रीत के रंग से संवारते हैं। चलो, आज फिर से रिश्तों को, प्रीत के रंग से संवारते हैं।
अब क्षीरसागर मथने से, निकलेगा ऐसा नवनीत।५। अब क्षीरसागर मथने से, निकलेगा ऐसा नवनीत।५।
उधार की खुशियां लेने की, कभी चाह हम ना करें। उधार की खुशियां लेने की, कभी चाह हम ना करें।
विश्वास का दीप जला रहा कच्चा सा ये दिल लम्हें नये चुन रहा। विश्वास का दीप जला रहा कच्चा सा ये दिल लम्हें नये चुन रहा।